रफ़ी साहब की रुहानी आवाज कब से मेरे जेहन में हैं बता नहीं सकता, अब तो याद भी नहीं। बहुत छुटपन से ही इनका मुरीद रहा हुँ, बचपन में घर में दो-चार विनाईल रेकोर्ड जो बजते थे उनमें थे "बैजु बावरा" "श्री ४२०" "अनाड़ी" "मिलन" "खानदान" बस यही दो-चार रेकोर्ड बारम्बार बजते थे,
इनमें रफ़ी साहब के जो गाने थे वोह तो मानो कंठस्त ही हो गये थे - "कल चमन था, आज एक सेहरा हुया" "रमैया वस्ता वैया" "बचपन की मोहब्बत को दिल से ना जुदा करना" "तु होके बड़ा बन जाना अपनी माता का रखवाला" "बड़ी देर भयी नंदलाला" और था रेडिओ और विविध-भारती...
आज उनके कुछ ऐसे गाने यहां अपलोड करना चहुंगा जिन्हें मै अक्सर सुनता रहता हुँ। इस लिस्ट को "माई ऑल टाईम फ़ेवरेट रफ़ी सोंग्स" भी कहा जा सकता हैं|
Click to view attachment